Thursday, December 21, 2017
Harappa
Sunday, December 10, 2017
दूसरे बड़े साहब IAS?
कई दिनों से सामने वाली बिल्डिंग में एक घर खाली पड़ा था। एक दिन अचानक देखा कि घर की सफाई शुरू हो गई। सारी खिड़कियां खोली गई । सारा कचरा निकाल के बाहर फेंक दिया गया। दूसरे दिन ताम झाम के साथ कुछ लोग आए और हर कमरे में अलग-अलग रंगों से पुताई होने लगी। खिड़कियों की मरम्मत शुरु हो गई। दो दिन तक यहीं कार्यक्रम चला फिर अचानक से कुछ आवाज आई जैसे की ड्रिल मशीन चल रही हो मैं समझ गया कि घर में जगह-जगह पर कीलो के लिए जगह बनाई जा रही है जहां कुछ भी टांगना लटकाना हो उसके लिए प्रयास हो रहा है।
एक शाम को कुछ लोग उस घर को देखने के लिए आए तब पता चला कि यह तो ऊपर वाले घर में जो IAS साहब रहते हैं उनके ही जान पहचान के हैं क्योंकि वह दोनों परिवार एक साथ उस घर को देखने गए थे
चौके में आए दिन ढेर सारे कॉकरोच का आगमन हो जाता है उस समय बस झाड़ू लकड़ी या फिर हिट जोकि मच्छर मारने की दवा के रुप में प्रयोग किया जाता है
पर जाली लगने से कम से कम 95% मच्छरों में कमी आई है पर वहीं दूसरी तरफ कॉकरोच की जैसे बाढ़ आ गई हो उसको हम रोक नहीं सकते हैं
कई बार शिकायत करी पर कोई कार्य न हो सका ?! अब हमारी पत्नी ने खिड़कियों की उपर मोटी मोटी दरारों में छोटी लकड़ियां और सफेद सिमेंट के जरिए कीटों का रास्ता रोकने का प्रयास किया है !
एक दिन हमारे किचन में exhaust फैन लगा था उसको बनाने वाले आए थे उस दौरान ऑन ऑफ करने पर उसमें चिंगारियां निकलने लगी तदोपरांत वे लोग उसको खोल के ले गए और अब लगभग 3 साल होने को आया है हम अभी भी उसका इंतजार कर रहे हैं`। je इंजीनियर के ऑफिस में/ दफ्तर में शिकायत दर्ज करवाई है लगातार कई बार मिलने के बाद दो अप्लीकेशन देने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई।
हमारे घर में सारे दरवाजों में दीमक लगे हुए हैं। 24 घंटा दरवाजों से बुरादा सा गिरता रहता है और उसको इकट्ठा करना भी एक मुश्किल काम लग रहा है। दरवाजे के नीचे हमारी पत्नी ने कुछ कागज आदि लगाकर इकट्ठा करने का प्रयास किया है। पर उन दरवाजों में जगह-जगह खोखला पन हो गया है जहां भी छुआ जाता है तो और उसमें से मीट्टी गिरती है।
पर हमारे घर के दरवाजों की कोई मरम्मत नहीं हुई है। इसलिए जब सामने वाले दोनो घरों में यह तथाकथित बड़े साहब आए उनके आने के पहले ही सारे घर की मरम्मत कर दी गई जैसे कि एकदम नया घर हो।
रंगाई पुताई, दरवाजों की मरम्मत, खिड़कियों की मरम्मत, बिजली का व्यवस्था नल की व्यवस्था कर दी गई तो अपने ऊपर एक घृणा / छिड़क भाव उत्पन्न हो रहा है| कि हम क्या हैं? एक मानव है या इन IAS या अधिकारियों के लिए कीड़े हैं? क्या हम लोगों को घर में रहने का अधिकार नहीं है? हमारे घर की मरम्मत आवश्यक नहीं है? क्या हम लोग ऐसे ही टूटे फूटे घरों में रहने को मजबूर होंगे? और इंजीनियर साहब के पैर रगडे ? तब जाके हमारे घर की मरम्मत होगी?
कब लोग अपना काम ठीक से करेंगे ?
Friday, December 08, 2017
Monday, November 27, 2017
#Mother in #Kitchen A #Mother is a #mother always
In dim lights also she cooks, at the cost of health of her eyes?
Wednesday, November 15, 2017
Friday, November 10, 2017
Child Abuse - why this?
Why me? What wrong I have done? Why this happened to me?
But this is happening to me every time when I sit alone in my room. The ghost always comes and tries to take over me.
This thing had happened to me many years back.
But still it haunts me. Why?
At That time, when it happened, I could not notice what happened to me? Even after almost after 30 years now I am unable to know, as to why this happened to me????
Friday, November 03, 2017
बड़े साहब
घर के सामने एक गाड़ी गली में खड़ी हुई थी उसपर लिखा था जिला प्रशासन। कुछ मजदूर दरवाजा खोलकर गाड़ी में से सामान उतारकर दूसरे मंजिल के एक घर में ले जा रहे थे यह उपक्रम एक-दो दिन चला। गाड़ी आती सामान उतरता और चली जाती। फिर कुछ दिन के बाद उस घर में से तरह-तरह की आवाजें आने लगी। क्योंकि वह घर कई दिनों से खाली पड़ा था इसलिए अचानक से तरह-तरह की आवाजों से सबका ध्यान उस तरफ आकर्षित होता था। मेरा भी हुआ।
अचानक देखा खिड़कियों की रंगाई पुताई होने लगी। दरवाजों की रंगाई पुताई हुई। ड्रिल मशीन की आवाजें आई जैसे कि पूरा घर पूरी तरह से मरम्मत किया जा रहा था और तो और तीन चार कमरों वाले घर के हर कमरे में अलग-अलग रंगों से पुताई भी हुई। कुछ दिनों के बाद इस सब शोर से अभ्यस्त होने के बाद अचानक से सन्नाटा छा गया। तीन-चार दिन के बाद उस घर से टेलीविजन चलने और गानों की आवाज आने लगी। कुछ दिन के बाद पता चला इसमें एक बड़े साहब सपरिवार रहने आए हैं।
दूसरे दिन सुबह 2_3 लड़कियां आती सफाई आदि करके चली जाती। दोपहर को एक दो लोग आते चले जाते शाम को 6- 7 बजे भी दो लड़कियों को जाते हुए देखा। सुबह एक ओमनी गाडी आती उसमें से एक व्यक्ति अखबारों की गड्डी ले करके उनके घर में जा कर के दे देता। परंतु सबसे ज्यादा वफादार व्यक्ति तो उनका गाड़ीवान यानि कि ड्राइवर था। जो कि सुबह 7:30 बजे हाजिर हो जाता छोटी लड़की और उसकी मां को स्कूल छोड़ने जाता। दोपहर में भी खड़ा हुआ दिखाई देता। शाम को 7:00 बजे 8:00 बजे तक गाड़ी दिखती। अचानक इस बात पर ध्यान गया कि एक tata sumo टाटा सूमो तो 24 घंटा खड़ी रहती है। तो मतलब साहब जी के पास 24 घंटे गाड़ी या गाड़ीवान सभी रहते। घर में लोगों का आना जाना लगा ही रहता। सुबह दोपहर शाम तो दो-तीन लड़कियां कभी-कभी कुछ लड़के घर में कुछ काम करके चले जाते हैं।
हमको इस घर में रहते हुए लगभग 4 साल से ज्यादा हो गए हैं। इन 4 सालों में पास के इंजीनियर के ऑफिस में अनगिनत बार किसी ना किसी बात को लेकर उनके रजिस्टर में शिकायत दर्ज करानी पड़ती है। कभी कोई नल चूने लगा कभी नल में पानी नहीं आ रहा है कभी पंखे का स्विच खराब हो गया कभी पंखा जल गया कभी स्विच में से आग निकलने लगती। किचन के एग्जॉस्ट फैन में से धुआं उठने लगा तो वे लोग आए और लेकर गए। आज ढाई साल से ज्यादा समय हो गया है आज तक पलट के पंखा नहीं आया। अक्सर बिजली विभाग के उस ऑफिस में बोलकर आते हैं कि भाई एग्जॉस्ट फैन किचन का नहीं आया। कोई ज्यादा सहूलियत भरा जवाब तो मिलता नहीं लेकिन अब शिकायत करना एक प्रक्रिया सी बन गई है या यूं कहें कि हमारे स्वभाव में शामिल हो चुका है। घर के दरवाजों में दीमक लगा हुआ है। नित प्रतिदिन कई कई ग्राम लकड़ी का बुरादा इकट्ठा करना पड़ता है। सफाई करनी पड़ती है। खिड़कियों में जो लोहे के तारों वाली जालियां लगी हैं उनसे जंक गिरने लगी है। छेद बन गए हैं। कई बार बोला। रजिस्टर में शिकायत दर्ज कराई। अब उस दिन का इंतजार कर रहे हैं कि कब इंजीनियर साहब की मेहरबानी हो जाए और हमारे घर में मरम्मत शुरु हो जाए।
जिस दिन से इस घर में आए हैं बारिश में छत के एक हिस्से से लगातार पानी चूता है। अक्सर हम लोग डिब्बा डिब्बे लगाकर के पानी इकट्ठा करके और बहाते रहते हैं। बाहर की बालकनी में तो पानी की धारा सी बहती है उस में कोई सामान ही नहीं रख पाते हैं। तो घर का एक तरफ का हिस्सा बारिश में अन उपयोगी हो जाता है। और बारिश भी लगभग 8 महीना से ज्यादा रहती हैं यहां पर। कई बार कह चुके हैं इंजीनियर से। इंजीनियर एक बार आया देखकर चला गया। एक दो बार तो उसने कहा आप हमारे भी बड़े साहब को एक दरखास्त दे दीजिए। अप्लीकेशन मैंने दो बार दी परंतु हमारे पास उसकी कोई कॉपी नहीं है जिससे कि हम साबित कर सके कि हमने इंजीनियर के बड़े इंजीनियर को दी है।
परंतु इस को क्या कहेंगे जो व्यक्ति अभी 4 दिन पहले घर में आया उसके आने के पहले ही घर की पूरी सफाई हो गई दरवाजे तुरंत बदल गए खिड़कियां बदल गई पुताई हो गई नल सब ठीक हो गए पंखा उनका सब लग गया इसको क्या कहा जाए??
तकदीर भाग्य?? वह व्यक्ति क्या है? कैसा है? जिसके लिए यह इंजीनियरिंग विभाग सदैव तत्पर रहता है और हम अक्सर गिड़गिड़ाया करते हैं। गिरते गिर गिर कर उसके पास जाते है। तब भी इंजीनियर के कान पर जूं नहीं रेंगती। हमारे मन में यह सब देख कर क्या भाव आते हैं यह केवल भगवान ही जानता है।
कुछ दिन हुए ही थे कि अचानक बाहर शोर होने लगा। मारपीट की आवाज आने लगीं। रोने पीटने की आवाजें भी आ रही थीं। शाम को टेलीविजन पर न्यूज़ देखी तब मामला समझ में आया।
दूर प्रदेश से एक स्त्री व उसके रिश्तेदार अचानक इन बड़े साहब के घर पर धावा बोल देते हैं और घर में घर की मालकिन से लड़ाई होती है। मारपीट होने लगती है। वह जो बाहर से स्त्री आई थी वह कह रही थी कि यह दूसरी स्त्री कहां से आ गई है। पहली शादीशुदा तो हम हैं। दूसरी पत्नी रखी है बच्चा भी कर लिया है।
पुलिस आई छानबीन हुई शिकायतों का दौर चला और इन बड़े साहब का पलटवार हुआ। टेलीविजन पर यह दिखा जैसे कि वह स्त्री और उसके रिश्तेदार इस घर में घुसकर मारपीट करने तथा छेड़छाड़ करने के अपराधी घोषित होगए।
फिर धीरे धीरे इस घर में भी हलचल गायब हुई। स्त्री गायब हो गई बच्चा गायब हो गया। कुछ दिन तो ऐसा लगा इस घर में कोई रहता ही नहीं है।
कोई आता भी होगा तो गुपचुप तरीके से चले जाते पता ही नहीं चलता कि परिवार कहां रहता है।
महीना भर के बाद जब मामला ठंडा हुआ तो फिर एक बार घर रोशन हो गया। वैसा ही फिर शुरु हो गया। सवेरे गाड़ी आती, अखबार आता, नौकर आते जाते रहते, जीना की सफाई होती, उनका सबसे ज्यादा वफादार ड्राइवर हमेशा तैनात रहता। 24 घंटा tata sumo दरवाजे पर खडी रहती। अक्सर आते-जाते रात में कहीं जाते दिन में कहीं जाते।
यह है हमारे मोहल्ले का हाल। वह अफसर एक प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं। उनके सामने हम लोगों की क्या हैसियत है।
Sunday, October 22, 2017
Mothers united at birth
Thursday, October 05, 2017
एही ठैंया झुलनी हेरानी हो रामा EHI THAIYAN JHULNI HAIRANI HO RAMA
The objective of that time was to discard anything of foreign origin even cloths etc, everything even the ruler?
See how great was that lady. She threw his gift(saree). Tears rolled out in eyes of that young lad Tunnu, great hurt he felt,. Tears dropped on saree. The boy went away in pain. She immediately picked up that gift, took it into her room, closed the doors and started weeping. She kept on kissing the saree (and those tears), It was a gift that No one else had brought for her.
All gifts brought to her earlier had ulterior motives, She never wanted those gifts. Deep in her heart she felt that this gift of Khadi Saree is the most precious she ever got? It was due to pure love for her that Tunnu brought this gift.
She had been continuously scolding and insulting this boy but this boy always takes out time to come at her door just to see her and tried to talk to her. He could never talked to her in a frank manner.
She was invited (dragged and pressurised by police goons) to perform in mehfil by those very police who knew that her lover boy has been killed. She had no option and thus performed.
She sang this song एही ठैंया झुलनी हेरानी हो रामा.. indicating that she lost her honour or pride at this very place? what she can do?
and those very people, in front of whom she is singing are responsible for murder of her true LOVE. How cruel those people were.
What hurt me is the attitude towards a singer, dancer. Often we sing in praise of our rich cultural Heritage? but bitter truth is that still in New India (as a society) we don't give dignity or respect to those singer//dancer ladies as an individual, who by some compulsion had to choose this profession.
I dont know? but it is said that this story was written inspired by the famous Singer Rassolan Bai, who is hailed as one of the top most singer from Banares, Varanasi. She was a great artist of Hindustani Classical music. She sang on All India Radio. It is also said that she died in very bad financial condition.
She had discarded Kotha(system), immediately during the independence she came out and started performing in open public functions. Earlier most of the tawaif were singing inside the Kotha or in invited closed mehfills of few rich patrons or in the courts of Raja Nawabs etc. I dont know how far it is true. But whatever happened, i have great respect for her. If you listen to her songs now available in youtube etc one can know how great singer she was.
Rasoolan and Batoolan were sisters, Ustad Bismillah Khan the Shehnai master had also said in some talks that as a child he was very much attarcted towards Hindustani Singing while listening to these sisters, he used to go for Riyaz(practice) through a lane in which these sister lived in Banares.
Thursday, September 28, 2017
Festival of Tribal Dance
Thursday, September 21, 2017
Tuesday, September 05, 2017
Women are contributer to Agriculture but not much is said
There are certain works in fields traditionally done by women |
Women work side by side with men ofhouseholds |
women of household always work along with men |
women of household do work continuously in fields |
Women folk do help a lot in Agirculture related works as member of household |
Percentage of Male cultivators to total workers is 24.9. [Rural- 35.2
& Urban-2.7]. Percentage of Female cultivators to total workers is 24
[Rural-28.8 & Urban-3.1].
other wise the work participation ratio of women remains lower than
males. But above we find that female cultivators are just at equal
percentage approx. but still in rural areas the cultivator percentage
of women is recorded lower than males.
WPR female at all India level was 25.5% [rural – 30% and Urban-15.4%]
work participation of Males in 53.3% [Rural- 53% and Urban – 53.8%]