पहले मैंने लिखा था बड़े साहब (click to read)
कई दिनों से सामने वाली बिल्डिंग में एक घर खाली पड़ा था। एक दिन अचानक देखा कि घर की सफाई शुरू हो गई। सारी खिड़कियां खोली गई । सारा कचरा निकाल के बाहर फेंक दिया गया। दूसरे दिन ताम झाम के साथ कुछ लोग आए और हर कमरे में अलग-अलग रंगों से पुताई होने लगी। खिड़कियों की मरम्मत शुरु हो गई। दो दिन तक यहीं कार्यक्रम चला फिर अचानक से कुछ आवाज आई जैसे की ड्रिल मशीन चल रही हो मैं समझ गया कि घर में जगह-जगह पर कीलो के लिए जगह बनाई जा रही है जहां कुछ भी टांगना लटकाना हो उसके लिए प्रयास हो रहा है।
दरवाजों की मरम्मत भी हुई एकदम नए बन गए और जो भी दीवारों पर टूट फूट हुई थी उसकी भी पूरी मरम्मत हो गई क्योंकि इसके बाद ही तो पुताई हुई होगी
सारी खिड़कियों में नई प्लास्टिक की जाली लग गई। एक शाम को जब हम घर पहुंचे तो देखा कि उस घर में बड़ा ताला लगा हुआ था पर सारे घर की बत्तियां जली हुई थी कमरों में से चमकता हुआ प्रकाश बाहर झलक रहा था उस ओर मुंह करके देखने से ऐसा लग रहा था जैसे कि मानो मुझे चिढ़ा रहा हो ।
एक शाम को कुछ लोग उस घर को देखने के लिए आए तब पता चला कि यह तो ऊपर वाले घर में जो IAS साहब रहते हैं उनके ही जान पहचान के हैं क्योंकि वह दोनों परिवार एक साथ उस घर को देखने गए थे
एक शाम को कुछ लोग उस घर को देखने के लिए आए तब पता चला कि यह तो ऊपर वाले घर में जो IAS साहब रहते हैं उनके ही जान पहचान के हैं क्योंकि वह दोनों परिवार एक साथ उस घर को देखने गए थे
कहां-कहां कमी हुई होगी सब देख के बाहर आए इसका मतलब कि इस घर में आने वाले सज्जन भी एक कोई बड़े साहब होएंगे।
हम तीसरी मंजिल पर रहते हैं तीन चार साल से इस घर मे रह रहे हैं और रोज कुछ न कुछ कोई न कोई परेशानी हो ही जाती है। कभी रसोई में कभी गुसलखाने मे नल खराब हो जाता है कभी दूसरे गुसलखाने मे पानी ही नहीं आता है। और जब भी बरसात होती है तो घर के एक हिस्से में दीवारों से पानी टपकने लगता है
जहां हम खाना खाते हैं बैठकर उस कमरे में दीवाल से खिड़की की तरफ ढेरों पानी बहने लगता है
चोके के बगल में बाहर की बालकनी में तो छत में बड़े-बड़े छेद से दिखते हैं और झमाझम पानी गिरता है इसलिए उस बालकनी का प्रयोग कुछ भी सामान रखने में हम नहीं कर सकते हैं
बरसात के दिनो मे इन डिब्बो मे पनी भर भर कर फेक्ना ही पूूूूरे दिन चलता रह्ता ।
कुछ दिन पहले खिड़कियों में लकड़ी के फ्रेम लगाए गए थे और उनमें महीन जाली भी लगाई गई शायद मच्छरों से बचाव के लिए क्योंकि यहां पर मलेरिया का प्रकोप बहुत है
पर बीते दिनों में डेंगू चिकनगुनिया जैसे भी बीमारियों का प्रकोप बढ़ रहा है एक तरफ यह अच्छा कदम है कि खिड़कियों में जाली लग जाने से मच्छर घर में प्रवेश नहीं कर पाएंगे परंतु हमारे घर में जो लकड़ी के फ्रेम लगाए गए खिड़कियों में वैसे लगाए गए हैं कि खिड़की के चारों तरफ इतनी जगह छूट गई है कि उसमें से छिपकलियां कॉकरोच और रेंगने वाले जीव बे रोक-टोक बेहिचक आ जा सकते हैं
चौके में आए दिन ढेर सारे कॉकरोच का आगमन हो जाता है उस समय बस झाड़ू लकड़ी या फिर हिट जोकि मच्छर मारने की दवा के रुप में प्रयोग किया जाता है
पर जाली लगने से कम से कम 95% मच्छरों में कमी आई है पर वहीं दूसरी तरफ कॉकरोच की जैसे बाढ़ आ गई हो उसको हम रोक नहीं सकते हैं
कई बार शिकायत करी पर कोई कार्य न हो सका ?! अब हमारी पत्नी ने खिड़कियों की उपर मोटी मोटी दरारों में छोटी लकड़ियां और सफेद सिमेंट के जरिए कीटों का रास्ता रोकने का प्रयास किया है !
एक दिन हमारे किचन में exhaust फैन लगा था उसको बनाने वाले आए थे उस दौरान ऑन ऑफ करने पर उसमें चिंगारियां निकलने लगी तदोपरांत वे लोग उसको खोल के ले गए और अब लगभग 3 साल होने को आया है हम अभी भी उसका इंतजार कर रहे हैं`। je इंजीनियर के ऑफिस में/ दफ्तर में शिकायत दर्ज करवाई है लगातार कई बार मिलने के बाद दो अप्लीकेशन देने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई।
हमारे घर में सारे दरवाजों में दीमक लगे हुए हैं। 24 घंटा दरवाजों से बुरादा सा गिरता रहता है और उसको इकट्ठा करना भी एक मुश्किल काम लग रहा है। दरवाजे के नीचे हमारी पत्नी ने कुछ कागज आदि लगाकर इकट्ठा करने का प्रयास किया है। पर उन दरवाजों में जगह-जगह खोखला पन हो गया है जहां भी छुआ जाता है तो और उसमें से मीट्टी गिरती है।
पर हमारे घर के दरवाजों की कोई मरम्मत नहीं हुई है। इसलिए जब सामने वाले दोनो घरों में यह तथाकथित बड़े साहब आए उनके आने के पहले ही सारे घर की मरम्मत कर दी गई जैसे कि एकदम नया घर हो।
रंगाई पुताई, दरवाजों की मरम्मत, खिड़कियों की मरम्मत, बिजली का व्यवस्था नल की व्यवस्था कर दी गई तो अपने ऊपर एक घृणा / छिड़क भाव उत्पन्न हो रहा है| कि हम क्या हैं? एक मानव है या इन IAS या अधिकारियों के लिए कीड़े हैं? क्या हम लोगों को घर में रहने का अधिकार नहीं है? हमारे घर की मरम्मत आवश्यक नहीं है? क्या हम लोग ऐसे ही टूटे फूटे घरों में रहने को मजबूर होंगे? और इंजीनियर साहब के पैर रगडे ? तब जाके हमारे घर की मरम्मत होगी?
कब लोग अपना काम ठीक से करेंगे ?
चौके में आए दिन ढेर सारे कॉकरोच का आगमन हो जाता है उस समय बस झाड़ू लकड़ी या फिर हिट जोकि मच्छर मारने की दवा के रुप में प्रयोग किया जाता है
पर जाली लगने से कम से कम 95% मच्छरों में कमी आई है पर वहीं दूसरी तरफ कॉकरोच की जैसे बाढ़ आ गई हो उसको हम रोक नहीं सकते हैं
कई बार शिकायत करी पर कोई कार्य न हो सका ?! अब हमारी पत्नी ने खिड़कियों की उपर मोटी मोटी दरारों में छोटी लकड़ियां और सफेद सिमेंट के जरिए कीटों का रास्ता रोकने का प्रयास किया है !
एक दिन हमारे किचन में exhaust फैन लगा था उसको बनाने वाले आए थे उस दौरान ऑन ऑफ करने पर उसमें चिंगारियां निकलने लगी तदोपरांत वे लोग उसको खोल के ले गए और अब लगभग 3 साल होने को आया है हम अभी भी उसका इंतजार कर रहे हैं`। je इंजीनियर के ऑफिस में/ दफ्तर में शिकायत दर्ज करवाई है लगातार कई बार मिलने के बाद दो अप्लीकेशन देने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई।
हमारे घर में सारे दरवाजों में दीमक लगे हुए हैं। 24 घंटा दरवाजों से बुरादा सा गिरता रहता है और उसको इकट्ठा करना भी एक मुश्किल काम लग रहा है। दरवाजे के नीचे हमारी पत्नी ने कुछ कागज आदि लगाकर इकट्ठा करने का प्रयास किया है। पर उन दरवाजों में जगह-जगह खोखला पन हो गया है जहां भी छुआ जाता है तो और उसमें से मीट्टी गिरती है।
पर हमारे घर के दरवाजों की कोई मरम्मत नहीं हुई है। इसलिए जब सामने वाले दोनो घरों में यह तथाकथित बड़े साहब आए उनके आने के पहले ही सारे घर की मरम्मत कर दी गई जैसे कि एकदम नया घर हो।
रंगाई पुताई, दरवाजों की मरम्मत, खिड़कियों की मरम्मत, बिजली का व्यवस्था नल की व्यवस्था कर दी गई तो अपने ऊपर एक घृणा / छिड़क भाव उत्पन्न हो रहा है| कि हम क्या हैं? एक मानव है या इन IAS या अधिकारियों के लिए कीड़े हैं? क्या हम लोगों को घर में रहने का अधिकार नहीं है? हमारे घर की मरम्मत आवश्यक नहीं है? क्या हम लोग ऐसे ही टूटे फूटे घरों में रहने को मजबूर होंगे? और इंजीनियर साहब के पैर रगडे ? तब जाके हमारे घर की मरम्मत होगी?
कब लोग अपना काम ठीक से करेंगे ?
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