In dim lights also she cooks, at the cost of health of her eyes?
Monday, November 27, 2017
#Mother in #Kitchen A #Mother is a #mother always
In dim lights also she cooks, at the cost of health of her eyes?
Wednesday, November 15, 2017
Friday, November 10, 2017
Child Abuse - why this?
Why me? What wrong I have done? Why this happened to me?
But this is happening to me every time when I sit alone in my room. The ghost always comes and tries to take over me.
This thing had happened to me many years back.
But still it haunts me. Why?
At That time, when it happened, I could not notice what happened to me? Even after almost after 30 years now I am unable to know, as to why this happened to me????
Friday, November 03, 2017
बड़े साहब
घर के सामने एक गाड़ी गली में खड़ी हुई थी उसपर लिखा था जिला प्रशासन। कुछ मजदूर दरवाजा खोलकर गाड़ी में से सामान उतारकर दूसरे मंजिल के एक घर में ले जा रहे थे यह उपक्रम एक-दो दिन चला। गाड़ी आती सामान उतरता और चली जाती। फिर कुछ दिन के बाद उस घर में से तरह-तरह की आवाजें आने लगी। क्योंकि वह घर कई दिनों से खाली पड़ा था इसलिए अचानक से तरह-तरह की आवाजों से सबका ध्यान उस तरफ आकर्षित होता था। मेरा भी हुआ।
अचानक देखा खिड़कियों की रंगाई पुताई होने लगी। दरवाजों की रंगाई पुताई हुई। ड्रिल मशीन की आवाजें आई जैसे कि पूरा घर पूरी तरह से मरम्मत किया जा रहा था और तो और तीन चार कमरों वाले घर के हर कमरे में अलग-अलग रंगों से पुताई भी हुई। कुछ दिनों के बाद इस सब शोर से अभ्यस्त होने के बाद अचानक से सन्नाटा छा गया। तीन-चार दिन के बाद उस घर से टेलीविजन चलने और गानों की आवाज आने लगी। कुछ दिन के बाद पता चला इसमें एक बड़े साहब सपरिवार रहने आए हैं।
दूसरे दिन सुबह 2_3 लड़कियां आती सफाई आदि करके चली जाती। दोपहर को एक दो लोग आते चले जाते शाम को 6- 7 बजे भी दो लड़कियों को जाते हुए देखा। सुबह एक ओमनी गाडी आती उसमें से एक व्यक्ति अखबारों की गड्डी ले करके उनके घर में जा कर के दे देता। परंतु सबसे ज्यादा वफादार व्यक्ति तो उनका गाड़ीवान यानि कि ड्राइवर था। जो कि सुबह 7:30 बजे हाजिर हो जाता छोटी लड़की और उसकी मां को स्कूल छोड़ने जाता। दोपहर में भी खड़ा हुआ दिखाई देता। शाम को 7:00 बजे 8:00 बजे तक गाड़ी दिखती। अचानक इस बात पर ध्यान गया कि एक tata sumo टाटा सूमो तो 24 घंटा खड़ी रहती है। तो मतलब साहब जी के पास 24 घंटे गाड़ी या गाड़ीवान सभी रहते। घर में लोगों का आना जाना लगा ही रहता। सुबह दोपहर शाम तो दो-तीन लड़कियां कभी-कभी कुछ लड़के घर में कुछ काम करके चले जाते हैं।
हमको इस घर में रहते हुए लगभग 4 साल से ज्यादा हो गए हैं। इन 4 सालों में पास के इंजीनियर के ऑफिस में अनगिनत बार किसी ना किसी बात को लेकर उनके रजिस्टर में शिकायत दर्ज करानी पड़ती है। कभी कोई नल चूने लगा कभी नल में पानी नहीं आ रहा है कभी पंखे का स्विच खराब हो गया कभी पंखा जल गया कभी स्विच में से आग निकलने लगती। किचन के एग्जॉस्ट फैन में से धुआं उठने लगा तो वे लोग आए और लेकर गए। आज ढाई साल से ज्यादा समय हो गया है आज तक पलट के पंखा नहीं आया। अक्सर बिजली विभाग के उस ऑफिस में बोलकर आते हैं कि भाई एग्जॉस्ट फैन किचन का नहीं आया। कोई ज्यादा सहूलियत भरा जवाब तो मिलता नहीं लेकिन अब शिकायत करना एक प्रक्रिया सी बन गई है या यूं कहें कि हमारे स्वभाव में शामिल हो चुका है। घर के दरवाजों में दीमक लगा हुआ है। नित प्रतिदिन कई कई ग्राम लकड़ी का बुरादा इकट्ठा करना पड़ता है। सफाई करनी पड़ती है। खिड़कियों में जो लोहे के तारों वाली जालियां लगी हैं उनसे जंक गिरने लगी है। छेद बन गए हैं। कई बार बोला। रजिस्टर में शिकायत दर्ज कराई। अब उस दिन का इंतजार कर रहे हैं कि कब इंजीनियर साहब की मेहरबानी हो जाए और हमारे घर में मरम्मत शुरु हो जाए।
जिस दिन से इस घर में आए हैं बारिश में छत के एक हिस्से से लगातार पानी चूता है। अक्सर हम लोग डिब्बा डिब्बे लगाकर के पानी इकट्ठा करके और बहाते रहते हैं। बाहर की बालकनी में तो पानी की धारा सी बहती है उस में कोई सामान ही नहीं रख पाते हैं। तो घर का एक तरफ का हिस्सा बारिश में अन उपयोगी हो जाता है। और बारिश भी लगभग 8 महीना से ज्यादा रहती हैं यहां पर। कई बार कह चुके हैं इंजीनियर से। इंजीनियर एक बार आया देखकर चला गया। एक दो बार तो उसने कहा आप हमारे भी बड़े साहब को एक दरखास्त दे दीजिए। अप्लीकेशन मैंने दो बार दी परंतु हमारे पास उसकी कोई कॉपी नहीं है जिससे कि हम साबित कर सके कि हमने इंजीनियर के बड़े इंजीनियर को दी है।
परंतु इस को क्या कहेंगे जो व्यक्ति अभी 4 दिन पहले घर में आया उसके आने के पहले ही घर की पूरी सफाई हो गई दरवाजे तुरंत बदल गए खिड़कियां बदल गई पुताई हो गई नल सब ठीक हो गए पंखा उनका सब लग गया इसको क्या कहा जाए??
तकदीर भाग्य?? वह व्यक्ति क्या है? कैसा है? जिसके लिए यह इंजीनियरिंग विभाग सदैव तत्पर रहता है और हम अक्सर गिड़गिड़ाया करते हैं। गिरते गिर गिर कर उसके पास जाते है। तब भी इंजीनियर के कान पर जूं नहीं रेंगती। हमारे मन में यह सब देख कर क्या भाव आते हैं यह केवल भगवान ही जानता है।
कुछ दिन हुए ही थे कि अचानक बाहर शोर होने लगा। मारपीट की आवाज आने लगीं। रोने पीटने की आवाजें भी आ रही थीं। शाम को टेलीविजन पर न्यूज़ देखी तब मामला समझ में आया।
दूर प्रदेश से एक स्त्री व उसके रिश्तेदार अचानक इन बड़े साहब के घर पर धावा बोल देते हैं और घर में घर की मालकिन से लड़ाई होती है। मारपीट होने लगती है। वह जो बाहर से स्त्री आई थी वह कह रही थी कि यह दूसरी स्त्री कहां से आ गई है। पहली शादीशुदा तो हम हैं। दूसरी पत्नी रखी है बच्चा भी कर लिया है।
पुलिस आई छानबीन हुई शिकायतों का दौर चला और इन बड़े साहब का पलटवार हुआ। टेलीविजन पर यह दिखा जैसे कि वह स्त्री और उसके रिश्तेदार इस घर में घुसकर मारपीट करने तथा छेड़छाड़ करने के अपराधी घोषित होगए।
फिर धीरे धीरे इस घर में भी हलचल गायब हुई। स्त्री गायब हो गई बच्चा गायब हो गया। कुछ दिन तो ऐसा लगा इस घर में कोई रहता ही नहीं है।
कोई आता भी होगा तो गुपचुप तरीके से चले जाते पता ही नहीं चलता कि परिवार कहां रहता है।
महीना भर के बाद जब मामला ठंडा हुआ तो फिर एक बार घर रोशन हो गया। वैसा ही फिर शुरु हो गया। सवेरे गाड़ी आती, अखबार आता, नौकर आते जाते रहते, जीना की सफाई होती, उनका सबसे ज्यादा वफादार ड्राइवर हमेशा तैनात रहता। 24 घंटा tata sumo दरवाजे पर खडी रहती। अक्सर आते-जाते रात में कहीं जाते दिन में कहीं जाते।
यह है हमारे मोहल्ले का हाल। वह अफसर एक प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं। उनके सामने हम लोगों की क्या हैसियत है।